Dhanteras 2024:- धनतेरस का त्यौहार दिवाली से पहले कार्तिक के त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस साल धनतेरस का त्यौहार धनतेरस 29 अक्टूबर, मंगलवार को मनाया जाएगा। धनतेरस हिन्दू धर्म में मनाये जाने वाले प्रसिद्ध त्यौहारो में एक प्रमुख त्यौहार है। हिन्दुओं समाज में ऐसी मान्यता है धनतेरस का त्यौहार दीपावली की शुरूआत माना जाता है। क्यूंकि धनतेरस त्यौहार हर साल के कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन भगवान धन्वन्तरि का जन्म हुआ था। जिसके कारण इस तिथि को “धनत्रयोदशी” और “धनतेरस” के नाम से जाना जाता है।
धनतेरस का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? महत्व, पूजा विधि, तिथि, समय (Dhanteras 2024 Significance, Worship Method, Date, Time in Hindi)
धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी, कुबेर और धनवंतरी की पूजा की जाती है। धनतेरस का दिन बहुत ही शुभ माना जाता है, हिन्दू धर्म की मान्यता के अनुसार धनतेरस का दिन अगर आप सोना खरीदकर लाते हैं, तो आपके धन की तेरह गुना वृद्धि होती है।
धनतेरस का शुभ मुहूर्त (Dhanteras 2024 Puja Date and Time, Shubh Muhurta)
साल 2024 में कब है धनतेरस : 29 अक्टूबर, मंगलवार
इस दिन क्या किया जाता है : सोना, चांदी या बर्तन खरीदे जाते हैं।
धनतेरस की पूजा के मुहूर्त का समय : 05:50 शाम से 07:50 शाम तक
अवधि : 2 घंटा
धनतेरस क्या होता है? (What is Dhanteras?)
धनतेरस को धनत्रयोदशी (Dhantrayodashi) और धन्वंतरि जयंती (Dhanwantri Jayanti) के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, दीपावली से 2 दिन पहले धनतेरस को भगवान धन्वंतरि के जन्म दिवस को धनतेरस के रूप में मनाया जाता है। जब भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए थे तब उनके हाथ में अमृत से भरा कलश था।
भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का देवता (God of Ayurveda) माना जाता है, और इस दिन भगवान धन्वंतरि की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। नाम के अनुरूप धनतेरस का त्यौहार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन से दीपावली के 5 दिन के उत्सव की शुरूआत मानी जाती है। इस साल 2024 में धनतेरस का त्योहार 29 अक्टूबर, मंगलवार को मनाया जाएगा।
क्यों मनाया जाता है, धनतेरस का त्यौहार? (Why is The Festival of Dhanteras Celebrated)
कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है | इस बार धनतेरस का त्योहार 10 नवम्बर, दिन शुक्रवार को मनया जाएगा। दरअसल भगवान धन्वंतरि को भगवान विष्णु का रूप माना जाता है। भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के उपलक्ष्य में धनतेरस का पर्व मनाया जाता है।
चूँकि भगवान धन्वंतरि को आयुर्वेद का देवता माना जाता है इसलिए यह पर्व धन के साथ-साथ स्वास्थ्य से भी जुड़ा हुआ है। धनतेरस के शुभ दिन लोग झाड़ू से लेकर सोना-चांदी, बर्तन आदि की खरीदारी की जाती है। शास्त्रों के अनुसार, समुंद्र मंथन के दौरान भगवान धन्वंतरि हाथों में कलश लिए समुंद्र से प्रकट हुए थे।
धन की प्राप्ति के लिए इस दिन कुबेर की पूजा-अर्चना की जाती है जबकि आरोग्य रहनें के लिए भगवान धनवन्तरि की पूजा की जाती है। इस दिन नये बर्तन, सोने-चांदी के आभूषण आदि की खरीदारी करनें की प्रथा है। खासकर धनतेरस के दिन वाहन, कपड़े, संपत्ति,झाड़ू, बर्तन आदि खरीदने का विशेष महत्व माना जाता है।
पौराणिक कथा धनतेरस त्यौहार के बारे में (Story of Dhanteras)
हिन्दू शास्त्रों में कहा जाता है, कि जब देवता और दानवो के बीच समुंद्र मंथन हुआ था, उस दौरान कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को भगवान धन्वंतरि अपने दोनों हाथों में कलश लेकर समुंद्र से प्रकट हुए थे। बता दें कि धन्वंतरि को भगवान विष्णु का अंश अवतार माना जाता है। भगवान धन्वंतरि के प्रकट होने के उपलक्ष्य में ही धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि धनतेरस का त्योहार धन के साथ-साथ स्वास्थ्य से भी जुड़ा हुआ है।
धनतेरस का त्योहार धन और आरोग्य से भी जुड़ा हुआ है। इसलिए लोग इस दिन धन के लिए कुबेर और आरोग्य के लिए धनवन्तरि की पूजा की जाती है। इस दिन सभी लोग शुभ मुहूर्त में मूल्यवान धातु, आभूषण, वाहन, घर, संपत्ति, सोना, चांदी, कपड़े, झाड़ू, बर्तन आदि खरीदते हैं।
धनतेरस का महत्व (Importance of Dhanteras)
हिंदू धर्म में धनतेरस के त्यौहार का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है। इस दिन पर पूजा और नई चीज़े खरीदनें को अत्यंत महत्वपूर्ण और शुभ माना जाता है। हिंदू लोगो का ऐसा मानना है, कि इस दिन कोई नई वस्तु जैसे सोने से बने आभूषण खरीदने से, उनके धन में वृद्धि होती है। खासकर धनतेरस के दिन बर्तन खरीदनें पर अधिक महत्व दिया जाता है।
इसका मुख्य कारण यह है, कि जब भगवान धन्वंतरि प्रकट हुए तो उनके हाथ में कलश रुपी एक बर्तन था। भगवान धन्वंतरि को तांबे की धातु के साथ ही उन्हें पीला रंग पसंद है, जिसके कारण लोग इस दिन चांदी और तांबे के बर्तन खरीदने पर अधिक ध्यान और महत्व देते है।
इसके साथ ही इस दिन यमराज की पूजा करनें के साथ ही उनके नाम से दीपक भी जलाया जाता है । लोगो को ऐसी मान्यता है, कि यमराज की पूजा करनें और दीप जलाने से घर में कभी किसी को अकाल मृत्यु नहीं आती है।
धनतेरस के दिन व्यापारी वर्ग अपने गल्ले में धन रखते हैं, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दिन लक्ष्मी जी प्रकट हुई थीं और उस समय उनके हाथों में एक पैसा था। ऐसा माना जाता है, कि गल्ले को खुला रखने से व्यवसाय में कभी भी हानि नहीं होती है।
धनतेरस का त्यौहार कैसे मनाया जाता है? (How is Dhanteras Celebrated)
धनतेरस त्यौहार के दिन लोग अपनी-अपनी आर्थिक स्थिति के अनुसार नये-नये बर्तन खरीदते हैं। यहाँ तक कि लोग इस दिन लोग वाहन, सोना या चांदी का सामान खरीदते हैं। इसके साथ ही धनतेरस के दिन लोग दीपावली की पूजा के लिए सामग्री जैसे- लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियाँ, नारियल, कपड़े, दीपक, झाड़ू आदि खरीदते हैं। धनतेरस के दिन खासकर लोग सोने या चांदी का सिक्का और धन यंत्र को खरीदते हैं।
धनतेरस के दिन सभी देवताओं के नाम से दीप प्रज्जवलित किये जाते है। इसके साथ ही सायं काल में लोग अपनें घरों में पूरे विधि-विधान के साथ भगवान धन्वंतरि, लक्ष्मी-गणेश, कुबेर, यमराज की पूजा करनें के साथ ही सभी देवतागणों को मिठाई और पुष्प चढ़ाए जाते हैं। धनतेरस को मुख्य रूप से दीपावली की शुरुआत माना जाता है, इसीलिए इस दिन कई लोग पटाखे भी जलाते हैं।
धनतेरस की पूजा विधि (Dhanteras Worship Method)
धनतेरस के दिन शाम को पूजा करने का समय अत्यधिक उत्तम माना जाता है। इस दिन भगवान धन्वंतरि और भगवान कुबेर की मूर्तियों को उत्तर दिशा की ओर पूजा स्थल में स्थापित करनें के साथ ही भगवान गणेश और लक्ष्मी जी की मूर्ति स्थापित की जाती है।
दरअसल ऐसी मान्यता चली आ रही है, कि धनतेरस के दिन शाम के समय अपने घर के दक्षिण दिशा में दीपक जलाने से अकाल मृत्यु होने का भय नहीं रहता है।
हिन्दू धर्म में ऐसी मान्यता है, कि भगवान धन्वंतरि को पीला रंग अत्यधिक पसंद है। इस वजह से भगवान धन्वंतरि को पीली मिठाई और भगवान कुबेर को सफेद मिठाई का भोग लगाया जाता है।
लोगो का मानना है, कि पूजा में फल और फूलों के अलावा चावल, दाल, रोली, चंदन, धूप आदि का इस्तेमाल करना अत्यंत लाभाकरी होता है। धनतेरस के दिन धर्मराज भगवान यमराज को श्रद्धा पूर्वक प्रणाम करना चाहिए और उनके नाम से अपने घर में एक दीपक अवश्य जलाना चाहिये।
धनतेरस की पूजा के लिए सबसे पहले आपको चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाकर उसमें पवित्र गंगाजल छिड़क कर भगवान धन्वंतरि, माता लक्ष्मी और भगवान कुबेर की मूर्तियाँ स्थापित करे। सभी देवताओं के सामने घी का दीपक जलाने के साथ ही धूप और अगरबत्ती भी जलाये।
इसके पश्चात भगवान को पुष्प अर्पित करने के साथ ही आपने जो भी नया बर्तन, ज्वेलरी आदि की खरीददारी की है उन्हें चौकी पर रखें। पूजा के दौरान “ॐ ह्रीं कुबेराय नमः” का जाप करें। इसके पश्चात धनवंतरि स्तोत्र का पाठ करनें के बाद लक्ष्मी स्तोत्र और लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें।
धनतेरस के दिन इन बातों का रखें ध्यान
बहुत से लोग धनतेरस के दिन ऐसी गलती कर देते हैं, जिसका पछतावा उनको आगे पता चलता है। तो आइये जानते हैं कि वो कौन सी बातें हैं, जिनको हम ध्यान में रख कर धनतेरस के दिन कोई भी गलती ना करें। सबसे पहले धनतेरस के दिन किसी को भी उधार देने से बचे। नहीं तो आपको इससे धन की हानि रहेगी।
- धनतेरस के एक दिन पहले तक घर से सारी गंदगी को बाहर निकाल दें। यदि इस दिन घर में साफ-सफाई ना हो तो सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश नहीं होता है।
- ऐसा माना जाता है कि घर के मुख्य दरवाजे से लक्ष्मी का आगमन होता है। इसलिए यहां भूलकर भी गंदगी या खराब सामान ना रखें। घर के मुख्य दरवाजे को सबसे साफ और पवित्र रखें।
- धनतेरस के दिन धन के देवता कुबेर के साथ मां लक्ष्मी, भगवान धन्वंतरि की पूजा जरूर करें। ऐसा कहा जाता है कि सिर्फ कुबेर की पूजा करने से आप सालभर बीमार रह सकते हैं।
- धनतेरस के दिन किसी भी तरह के नकारात्मक चीजों के प्रतीक घर में भूल कर भी ना लाएं।
- धनतेरस के दिन अपने पूजा घर में कुमकुम, हल्दी और चंदन जैसे शुभ चीजों से ऊं और स्वास्तिक बनाएं।
- धनतेरस के दिन सोना, चांदी या कोई मूल्यवान धातु खरीदना बेहद शुभ माना जाता है। धनतेरस के दिन किसी नकली मूर्ति की पूजा ना करें। संभव हो तो सोने चांदी या मिट्टी से बनी मां लक्ष्मी जी की पूजा करें।
- धनतेरस के दिन भूल से भी शीशे का बर्तन नहीं खरीदना चाहिए।
FAQ
Ques : धनतेरस कब होती है ?
Ans : कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की तेरस धनतेरस होती है।
Ques : धनतेरस 2024 में कितनी तारीख को है ?
Ans : 29 अक्टूबर, मंगलवार
Ques : धनतेरस शुभ मुहूर्त कब का है ?
Ans : 05:50 शाम से 07:50 शाम तक
Ques : धनतेरस में क्या खरीदना शुभ माना जाता है ?
Ans : सोना या चांदी या फिर बर्तन
Ques : धनतेरस में कौन से भगवान की पूजा की जाती है ?
Ans : गणेश भगवान, मां लक्ष्मी, धन्वंतरि और कुबेर जी की पूजा की जाती है।
निष्कर्ष
धनतेरस का पर्व जितना धार्मिक दृष्टि से महत्पूर्ण है उतना ही आर्थिक दृष्टि से भी महत्व रखता है क्योंकि इस दिन भारी संख्या में लोग खरीदारी करते हैं जो एक तरह से हमारे देश की अर्थव्यवस्था में बढ़ोत्तरी करता है। यह पर्व लोगों को एक साथ लेकर आता है। एक साथ मिलजुल कर मनाये जाने वाले ये त्यौहार लोगो को एक बंधन में जोड़े रखते हैं।
दोस्तों आपको हमारा यह लेख धनतेरस का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? धनतेरस का महत्व, धनतेरस की पूजा विधि, तिथि और समय (Dhanteras 2024 Significance, Worship Method, Date, Timings in Hindi) के बारे में कैसा लगा, और अगर आप इस पोस्ट से सम्बंधित कोई सुझाव देना चाहते हैं, तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं। क्योंकि आपके कमेंट से ही हमें पता चलता है, कि आपको हमारा लेख कितना पसंद आया और आपको हमारे लेख पढ़ कर अच्छा लगा हो तो, इसे अपने दोस्तों और परिचित के साथ शेयर करना ना भूलें। धन्यवाद।
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