किन्नरों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी | Kinner in Hindi

Kinner किन्नर (Transgender) आज कल हमारे समाज में किसी पहचान का मोहताज़ नहीं है। दोस्तों आज हम आप सभी के लिये किन्नर से जुडी बातों के बारे में बताने वाले हैं। किन्नर कौन होते हैं। किन्नरों की समस्त जानकारी आज हम इस लेख लेख मे आपको बताने वाले हैं। तो आइये शुरु करते हैं। अक्सर आपने ट्रेन और बस में सफर करते समय, विवाह होने के बाद और बच्चे पैदा होने के बाद किन्नर या सामान्य बोल चाल में हिजड़ा अपने घर, आस-पड़ोस और सफ़र करने के दौरान देखे होंगे।

किन्नरों के बारे में सम्पूर्ण जानकारी (Kinner in Hindi)

सभी लोग इनसे लड़ाई करना पंसद नहीं करते हैं। क्यूंकि किन्नर लोग बोलने में कभी भी संकोज नहीं करते हैं। जब भी आप से किन्नर मिले होंगे तो ये आपको भिखारियों की तरह भीख मांगते हुये दिखाई दिए होंगे। किन्नर जो देखने में बिल्कुल अलग ही लगते हैं अर्थात हमारा कहने का मतलब है कि वह भिखारी जैसे तो नहीं लगते हैं, क्योंकि किन्नरों ने अच्छा श्रृंगार, अच्छे कपडे पहना हुआ होता है। इन्हें ही किन्नर कहा जाता है।

अक्सर किन्नरों के बारे में एक बात की जाती है कि, अगर किसी किन्नर ने आपको  खुश होकर अपना आशीर्वाद दे दिया तो समझ लीजिए उस व्यक्ति को भगवान का आशीर्वाद मिल जाता है और अगर ये अपने दिल से किसी को बद्दुआ देते हैं, तो उसका सम्पूर्ण वंश का नाश हो जाता है।

किन्नरों को जल्दी कोई नौकरी नहीं देता है। इसीलिए यह ट्रेन में या फिर रेलवे स्टेशन पर अथवा भीड़ भाड़ वाली जगह पर लोगों से पैसे मांगते हैं और बहुत से ऐसे लोग हैं, जो किन्नरों को अपने मन से खुशी-खुशी पैसे दे भी देते हैं।

आख़िर किन्नर कौन होते हैं? – किन्नर किसे कहते है?

कुछ लोगों का मानना है कि हिजड़ा उर्दू शब्द है और किन्नर हिंदी शब्द है। मानव के ऐसा जाति को किन्नर या हिजड़ा कहते हैं जो लैंगिक रूप से न तो नर (पुरुष) होते हैं और ना ही मादा (स्त्री) होते हैं। किन्नर के लोग माता पिता नहीं बन सकते क्योंकि उनका प्रजनन अंग पूरी तरह विकसित नहीं होता है।

हम आपको बता दें कि किन्नर को हिजड़ा और ट्रांसजेंडर भी कहा जाता है। यह एक ऐसे लोग होते हैं, जिनकी गिनती ना तो आदमी में होती है ना ही महिला में होती है। कई लोग इन्हें अपमान स्वरूप बीच का आदमी भी कहते हैं। इनके हाव-भाव आदमियों जैसे भी होते हैं और महिलाओं जैसे भी होते हैं।

कई किन्नर ऐसे होते है, जिसमें बॉडी के सभी अंग आदमियों वाले होते हैं परंतु उनकी चाल ढाल महिलाओं जैसी होती है। वहीं कई किन्नर ऐसे होते हैं, जो बिल्कुल महिला की तरह दिखाई देते है। जिनको देख कर आप भी धोखा खा जायेंगे, परंतु उनके पास महिला वाले अंग नहीं होते हैं।

आपको जितने भी किन्नर दिखाई देते हैं, उनमें से अधिकतर किन्नरों की आवाज पुरुषों जैसी होती है परंतु ये सभी महिलाओं के जैसा ही श्रृंगार करते हैं और अक्सर यह लोगों से पैसे मांग कर अपना गुजारा करते हैं, जिसके पीछे कारण यह है कि इन्हें कोई भी जल्दी से कोई नौकरी पर नहीं रखता है और यही वजह है कि किन्नर सार्वजनिक जगह पर लोगों से पैसे मांगते दिखाई देते हैं।

किन्नर कैसे पैदा होते हैं?

किसी भी लड़की के लिये मां बनना बड़े ही भाग्य की बात होती है, क्यूंकि अगर वो मां नहीं बन पाती है तो हमारा समाज उसे ताने देकर उसका जीना दुर्भर कर देता है, और उसे बाँझ समझता है।

परंतु कभी-कभी यह उस समय उनके लिए समस्या पैदा कर देता है, जब उन्हें यह पता चलता है कि जो संतान उनके पेट में से पैदा हुई है वह ना तो लड़का है ना लड़की है बल्कि वह किन्नर है। दरअसल जब किसी महिला के पेट में बच्चा आ जाता है तो करीब 3 महीने के बाद बच्चे का विकास धीरे-धीरे शुरु होना चालू हो जाता है।

अगर इस समय प्रेग्नेंट महिला को कोई बीमारी हो जाती है या फिर उसे अन्य कोई ऐसी समस्या हो जाती, जिससे उसकी बच्चेदानी में हारमोंस की प्रॉब्लम उत्पन्न होती है, तो इसके कारण बच्चे के लिंग पर इफेक्ट पड़ता है और इसी के कारण कभी-कभी पैदा हुए बच्चे में महिला और पुरुष दोनों के लक्षण आ जाते हैं।

इस प्रकार से किन्नर पैदा होते हैं। कई बार तो किन्नर दवा के साइड इफेक्ट के कारण भी पैदा हो जाते हैं। इसलिए प्रेगनेंसी की अवस्था में काफी सोच-विचार कर और डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही काम करना चाहिए।

किन्नर कैसे पहचाने जाते हैं?

किसी घर में कोई किन्नर पैदा हुआ है या फिर कोई किन्नर पहले से ही रह रहा है और किन्नरों को जैसे यह पता चलता है, तो किन्नर उसे अपनी बिरादरी में जबरदस्ती शामिल कर लेते हैं। फिर चाहे उसके घर वाले इसे रोकने का कितना भी प्रयास क्यों ना कर ले।

आपको बता दें कि ऐसे किन्नर जो पैदाइशी किन्नर होते हैं, अगर आप उनके शारीरक संरचना में स्तनों को देखेंगे तो वो ज्यादा बड़े नहीं होते हैं और जिन्हें बाद में किन्नर बनाया जाता है उन्हें इंजेक्शन दिया जाता है।

यही वजह है कि जिन्हें किन्नर बनाया जाता है उनके स्तन आकार में मोटे होते हैं। इसके अलावा जो पैदाइशी किन्नर होते हैं, उनकी योनि पर किसी भी प्रकार के कटने का कोई भी निशान नहीं होता है परंतु जिसे किन्नर बनाया जाता है उनकी योनि पर कट का निशान होता है।‌ किन्नर की पहचान करने के लिए आप उसकी आवाज को देख सकते हैं।

अगर किसी ने महिला जैसा सिंगार किया परंतु उसकी आवाज पुरुषों जैसी है तो निश्चित है कि वह किन्नर है। इसके अलावा अगर वह ताली पीट-पीटकर के लोगों से पैसे मांगते हैं तो यह भी इस बात की गवाही देता है कि वह किन्नर है। अगर कोई पुरुष किन्नर होता है तो उसके लिंग में जरा सा भी तनाव नहीं आता है।

किन्नर के लिंग कैसे होते हैं?

किन्नर के जननांग कैसे होते हैं, सभी को इसके बारे में जानने की उत्सुकता रहती है। वास्तव में आप इसके बारे में आप तभी जान पाएंगे जब आप किसी किन्नर से उसके जननांगों को दिखाने के लिए कहेंगे।

फिर भी प्राप्त जानकारी के अनुसार जो किन्नर होते हैं, उनके प्राइवेट पार्ट का ढंग से विकास नहीं हुआ होता है, अर्थात किसी किन्नर के पास अंडकोष होता है, परंतु उसका लिंग सही से नहीं होता है। वहीं कई किन्नर ऐसे हैं जिनके पास योनि होती है, जिससे वे पेशाब कर सकती हैं। कई किन्नरों के स्तन काफी छोटे होते हैं वहीं कई किन्नरों के लिंग काफी बड़े होते हैं।

किन्नरों की शादी

कई ऐसी बातें होती हैं जो हमें सोचने को मजबूर कर देती हैं। उन बातों पर हमारा यकीन कर पाना काफी मुश्किल हो जाता है। कई लोगों को यह जानकारी नहीं होती है। हमारे देश में कई परम्परा चली आ रही है यह भी उन्हीं में एक है। किन्नर के भगवान कौन हैं और किन से यह विवाह करते हैं।

किन्नर के बारे में आप जानते ही होंगे कि यह न तो पूरी तरह पुरुष होते है और न स्त्री इसलिए यह अविवाहित रहते हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि किन्नर भी शादी करते हैं। किन्नर अरावन को पूजते हैं, और इन्ही से  एक रात के लिये विवाह करते हैं। अरावन अर्जुन और नाग कन्या उलूपी की संतान थे।

कोई भी परम्परा है जिसका हम पालन करते है उसका कोई न कोई मतलब अवश्य होता है। ऐसे ही किन्नर समाज में भी इसका काफी महत्व है। किन्नर की शादी हर साल तमिल नव वर्ष की पहली पूर्णिमा से किन्नरों के विवाह का उत्सव शुरु होता है जो 18 दिनों तक चलता है। 17 वें दिन किन्नरों की शादी होती है। सोलह श्रृंगार किए हुए किन्नरों को पुरोहित मंगलसूत्र पहनाते हैं और इनका विवाह हो जाता है।

हमारी धरती पर स्त्री और पुरूष से हटकर भी एक प्रजाति है जिसे किन्नर कहते है। विवाह के अगले दिन इरवन देवता की मूर्ति को शहर में घुमाया जाता है और इसके बाद उसे तोड़ दिया जाता है। इसके साथ ही किन्नर अपना श्रृंगार उतारकर एक विधवा की तरह विलाप करने लगती है। कथा है कि महाभारत युद्ध से पहले पांडवों ने मां काली की पूजा की। इस पूजा में एक राजकुमार की बलि होनी थी।

लेकिन कोई भी राजकुमार जब आगे नहीं आया तो इरावन ने कहा कि वह बलि के लिए तैयार है। लेकिन इसने एक शर्त रख दी कि वह बिना शादी किये बिना बलि नहीं चढ़ेगा। और उस समय पांडवों के सामने ये समस्या आ गई कि वो  कौन सी राजकुमारी है जो इरावन से एक दिन के लिए विवाह करेगी और अगले दिन विधवा हो जाएगी। इस समस्या का समाधान भगवान श्री कृष्ण ने निकाला। श्री कृष्ण ने स्वयं मोहिनी रूप धारण करके इरावन से विवाह किया था।

किन्नर की शव यात्रा क्या होती है?

जैसे आप सभी जानते हैं कि हमारे हिन्दू समाज में शव को जलाने की प्रथा है। लेकिन किन्नर समुदाय का मौत होने के बाद की कहानी बिल्कुल अलग और विचित्र है। जब भी किसी किन्नर की मौत होती है, तो पूरे किन्नर समुदाय के लोग एक हफ्ते का उपवास रखते हैं। लेकिन वह दुःख नहीं मनाते हैं, उनका मानना होता है कि मरने के बाद किन्नर को इस नर्क रूपी जीवन से छुटकारा मिल जाता है।

किन्नर की शव यात्रा रात्रि के समय निकलती  है। इस यात्रा में किन्नर समाज के सभी लोग शामिल होते हैं। यह ध्यान रखते हैं कि कोई भी गैर किन्नर समाज के लोग इसे ना देखें। किन्नर मुर्दों को जलाया नहीं जाता है बल्कि इसे दफनाया जाता है।

किन्नरों से आशीर्वाद लेने से क्या होता है?

किन्नरों से आशीर्वाद लेने से क्या होता है, इसे लेकर कई मान्यताएं हैं। कुछ लोगों का मानना है कि यह आपके लिए सौभाग्य और समृद्धि लाएगा, जबकि अन्य का मानना है कि यह बुरी आत्माओं को दूर रखेगा। फिर भी अन्य लोग मानते हैं कि यह केवल सम्मान और कृतज्ञता दिखाने का एक तरीका है।

इनमें से किसी भी मान्यता का समर्थन करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, इसलिए आप उन पर विश्वास करते हैं या नहीं, यह व्यक्तिगत आस्था का मामला है। हालाँकि, किन्नरों के साथ बातचीत करते समय सम्मानजनक होना महत्वपूर्ण है, भले ही आप उनका आशीर्वाद लेना चाहें या नहीं। इसका मतलब है कोई भी भेदभावपूर्ण या आपत्तिजनक टिप्पणी करने से बचना। स्थानीय रीति-रिवाजों और परंपराओं से अवगत होना भी जरूरी है। कुछ संस्कृतियों में, किसी किन्नर के उपहार को अस्वीकार करना असभ्य माना जाता है।

किन्नर से आशीर्वाद लेना है या नहीं यह फैसला उनका निजी होता है। कोई सही या गलत जवाब नहीं है। यदि आप आशीर्वाद लेने का निर्णय लेते हैं, तो सम्मानपूर्वक और कृतज्ञता के साथ ऐसा करना महत्वपूर्ण है। जब आप किन्नरों से आशीर्वाद लेते हैं तो क्या होता है, इसके बारे में यहां कुछ मान्यताएं दी गई हैं।

सौभाग्य और समृद्धि: ऐसा माना जाता है कि किन्नरों से आशीर्वाद लेने से सौभाग्य और समृद्धि आती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि किन्नरों को अक्सर अलौकिक शक्तियों से संपन्न माना जाता है। आशीर्वाद को आपके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करने के एक तरीके के रूप में भी देखा जाता है।

बुरी आत्माओं से बचाव: यह भी माना जाता है कि किन्नरों से आशीर्वाद लेने से बुरी आत्माओं से बचा जा सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि किन्नरों को अक्सर लोगों को नुकसान से बचाने में सक्षम माना जाता है। आशीर्वाद को आपके और नकारात्मक ऊर्जा के बीच बाधा उत्पन्न करने के एक तरीके के रूप में भी देखा जाता है।

सम्मान और आभार प्रकट करना: किन्नरों से आशीर्वाद लेना भी सम्मान और आभार व्यक्त करने के तरीके के रूप में देखा जाता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि किन्नरों को अक्सर हाशिये पर रखा जाता है और उनके साथ भेदभाव किया जाता है। उनका आशीर्वाद लेकर आप उन्हें दिखा रहे हैं कि आप उन्हें और समाज में उनके योगदान को महत्व देते हैं।

अंततः, आप इनमें से किसी भी विश्वास पर विश्वास करते हैं या नहीं, यह व्यक्तिगत आस्था का मामला है। कोई सही या गलत जवाब नहीं है। यदि आप किसी किन्नर से आशीर्वाद लेने का निर्णय लेते हैं, तो ऐसा सम्मानपूर्वक और कृतज्ञता के साथ करना महत्वपूर्ण है।

किन्नर से ₹1 लेने का क्या फायदा है?

इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, कि किन्नर से एक रुपये का सिक्का लेने से आपको धन आकर्षित करने या अपनी किस्मत सुधारने में मदद मिलेगी। हालाँकि, भारत में लंबे समय से यह मान्यता है कि ऐसा करने से सौभाग्य प्राप्त हो सकता है। यह मान्यता संभवतः इस तथ्य पर आधारित है कि किन्नरों को अक्सर अलौकिक शक्तियों से संपन्न माना जाता है। इसके अतिरिक्त, एक रुपये का सिक्का भारत में धन और समृद्धि का प्रतीक है।

अगर आपको लगता है कि किन्नर से एक रुपये का सिक्का लेने से आपको फायदा होगा तो ऐसा करने में कोई बुराई नहीं है। हालाँकि, यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि इसकी कोई गारंटी नहीं है कि यह वास्तव में काम करेगा। अंततः, आप एक रुपये के सिक्के की ताकत में विश्वास करते हैं या नहीं, यह व्यक्तिगत आस्था का मामला है। यहां कुछ कारण बताए गए हैं कि क्यों लोग मानते हैं कि किन्नर से एक रुपये का सिक्का लेने से उन्हें मदद मिल सकती है।

  • किन्नरों को अक्सर अलौकिक शक्तियों से संपन्न माना जाता है।
  • एक रुपये का सिक्का भारत में धन और समृद्धि का प्रतीक है।
  • किन्नर से सिक्का लेना सम्मान और कृतज्ञता दिखाने के एक तरीके के रूप में देखा जाता है।
  • कुछ लोगों का मानना है कि सिक्के पर किन्नर का आशीर्वाद है।

बेशक, ऐसे लोग भी हैं जो मानते हैं कि पूरा विचार बकवास है। उनका तर्क है कि इस दावे का समर्थन करने के लिए कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि किन्नर से एक रुपये का सिक्का लेने से सौभाग्य आ सकता है। वे यह भी बताते हैं कि यह विश्वास अंधविश्वास और पूर्वाग्रह पर आधारित है।

अंततः, आप एक रुपये के सिक्के की ताकत में विश्वास करते हैं या नहीं, यह व्यक्तिगत आस्था का मामला है। अगर आप इस पर विश्वास करते हैं तो किन्नर से इसे लेने में कोई बुराई नहीं है। हालाँकि, यदि आप इस पर विश्वास नहीं करते हैं, तो ऐसा करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

निष्कर्ष

हम आशा करते हैं, कि आपको किन्नरों के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी। अगर अभी भी आपके मन में किन्नरों को लेकर आपका कोई सवाल है तो आप बेझिझक कमेंट सेक्शन में कमेंट करके पूछ सकते हैं। अगर आपको यह जानकारी अच्छी लगी हो तो इसे शेयर जरूर करें ताकि सभी को किन्नरों से समन्धित अच्छी और सही जानकारी मिल सके।

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