करवा चौथ 2024 तिथि, समय, व्रत कथा, महत्व, कैसे मनाएं? | Karwa Chauth 2024: Date, Time, Vrat Katha, Significance in Hindi

करवा चौथ (Karwa Chauth 2024) एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो पतिव्रता के रूप में पत्नियों द्वारा मनाया जाता है। यह त्योहार नवरात्रि के पश्चात आठवें दिन मनाया जाता है और इस दिन पत्नियाँ व्रत रखकर सवेरे से रात तक न खाने-पीने का त्याग करती हैं। यह पत्नी अपने पति की लंबी आयु और उसकी सुख-समृद्धि की कामना करती हैं। आज हम आपके लिए लाये  हैं, करवा चौथ से जुडी सारी जानकारी जिसमें करवा चौथ की तिथि, समय, व्रत कथा, महत्व, कैसे मनाएं? (Karwa Chauth 2024, Date, Time, Vrat Katha, Significance) जो हम हिंदी में लेकर आये हैं। जिसे आपको जरूर पढ़ना चाहिए।

करवा चौथ का त्योहार मुख्य रूप से उत्तर भारत में मनाया जाता है, लेकिन यह धीरे-धीरे पूरे भारत में लोकप्रिय हो रहा है। इस दिन पत्नियाँ विशेष धार्मिक पूजा करती हैं, जिसमें व्रत कथा सुनी जाती है और उन्हें करवा चौथ के व्रत से संबंधित मंत्रों का जाप करना होता है। इसके बाद व्रत को खोलने के लिए पत्नी को पति द्वारा खाना और पीना प्रदान किया जाता है। इसके अलावा, पत्नियाँ एक दूसरे को सजावटी अलगाववा (सौभाग्यवती बंधन) भी पहनती हैं जिसका अर्थ होता है कि उनके पति की लंबी आयु और समृद्धि हो।

करवा चौथ 2024 (Karwa Chauth 2024 in Hindi)

करवा चौथ का महत्वपूर्ण हिस्सा है पति-पत्नी के प्यार और आपसी सम्बंधों को मजबूत करने में। यह एक पत्नी की प्रेम, समर्पण और पति के प्रति आदर की प्रतीक है। इस दिन पत्नी अपने पति की लंबी आयु और समृद्धि की कामना करती हैं और पति भी उन्हें उनके त्याग और प्रेम के लिए सम्मानित करता है।

करवा चौथ व्रत के दौरान, पत्नियों को उनके पति के लिए विशेष उपहार दिए जाते हैं जैसे कि सिन्दूर, साड़ी, आभूषण, मेहंदी और मिठाई। यह उनके प्रेम और सम्मान का प्रतीक होता है। इसके अलावा, कुछ पतियों ने अपनी पत्नियों के लिए स्पार्टन और आरामदायक गिफ्ट्स भी दिए हैं जैसे कि स्पा वाउचर, शौकीन पुस्तकें, और उनकी पसंदीदा चीजें।

करवा चौथ एक आदर्शित परंपरा है जो पत्नी-पति के प्रेम और सम्बंधों को मजबूत करने का अवसर प्रदान करता है। यह एक ऐसा मौका है जब पत्नियाँ अपने पतियों के प्रति अपार प्रेम और समर्पण का अभिव्यक्ति करती हैं।

Karwa Chauth 2024 करवा चौथ उत्तरी भारत में भारतीय महिलाओं द्वारा बड़े पैमाने पर मनाया जाता है। यह एक दिन तक चलने वाला त्योहार है जिसे अत्यधिक उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है। करवा चौथ के दिन पूरे दिन उपवास की एक रस्म निभाई जाती है जिसे करवा चौथ व्रत या करवा चौथ उपवास के रूप में जाना जाता है।

इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति के जीवन की सुरक्षा और लंबी उम्र सुनिश्चित करने के लिए सूर्योदय से लेकर चंद्रोदय तक कठोर उपवास रखती हैं। करवा चौथ हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, गुजरात और राजस्थान राज्यों में अत्यधिक मनाया जाता है।

2024 में करवा चौथ कब है? (Karwa Chauth 2024 : Date, Time, Subh Muhurat in Hindi)

हिंदू कैलेंडर के अनुसार करवा चौथ का व्रत कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष चतुर्थी को मनाया जाता है। भारत के लिए हिंदू कैलेंडर में कराका चतुर्थी, जिसे करवा चौथ के रूप में भी जाना जाता है, 20 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा।

करवा चौथ 2024

तिथि: कार्तिक कृष्ण पक्ष चतुर्थी

दिन: रविवार, 20 अक्टूबर 2024

चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 20 अक्टूबर 2024 को सुबह 6 बजकर 46 मिनट

चतुर्थी तिथि समाप्त: 21 अक्टूबर 2024 को सुबह 4 बजकर 16 मिनट

पूजा मुहूर्त:  20 अक्टूबर 2024 को शाम, 5:46 बजे से रात 7:57 बजे तक

चांद का उदय: 20 अक्टूबर 2024 को रात, 7:54 बजे

अर्थ:

तिथि: चंद्रमा के चरण को तिथि कहा जाता है। कृष्ण पक्ष के दौरान, चंद्रमा घटता जाता है, इसलिए इसे कृष्ण पक्ष चतुर्थी कहा जाता है।

दिन: करवा चौथ को हमेशा बुधवार को मनाया जाता है।

चतुर्थी तिथि प्रारंभ: चतुर्थी तिथि सूर्योदय से शुरू होती है और अगले दिन सूर्योदय से पहले समाप्त हो जाती है।

चतुर्थी तिथि समाप्त: चतुर्थी तिथि के समाप्त होने के बाद, करवा चौथ का व्रत पूरा हो जाता है।

पूजा मुहूर्त: यह वह समय है जब आप करवा चौथ की पूजा कर सकते हैं।

चांद का उदय: करवा चौथ का व्रत चांद के दर्शन के बाद ही पूरा होता है।

करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए सबसे अहम व्रत माना जाता है। यह हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से सूर्यास्त तक निर्जला व्रत रखकर करवा माता की पूजा करती हैं। इस दिन चांद का दीदार करने के बाद ही व्रत खोला जाता है।

करवा चौथ के दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं अपने पति के लिए उपवास करती हैं और शाम को चांद को देखकर उन्हें अर्घ्य देती हैं। इस दिन महिलाएं अपने पति के लिए विशेष भोजन बनाती हैं और उन्हें खिलाती हैं।

करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखमय जीवन के लिए व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाओं को अपने पति के प्रति समर्पण और प्रेम का एहसास होता है।

इस त्योहार को भारत के विभिन्न हिस्सों में प्रतिबंधित अवकाश के रूप में स्वीकार किया जाता है। यह भारत की विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच मनाया जाने वाला एक प्रमुख त्योहार है। हाल के दिनों में कई पुरुषों ने भी इस उत्सव में भाग लेने में रुचि दिखाई है।

करवा चौथ का महत्व (Karwa Chauth 2024 Significance in Hindi)

करवा चौथ एक प्रमुख हिन्दू त्योहार है जो पतिव्रता के रूप में पत्नियों द्वारा मनाया जाता है। यह त्योहार नवरात्रि के पश्चात आठवें दिन मनाया जाता है और इस दिन पत्नियाँ व्रत रखकर सवेरे से रात तक न खाने-पीने का त्याग करती हैं। यह पत्नी अपने पति की लंबी आयु और उसकी सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।

करवा चौथ का महत्वपूर्ण हिस्सा है पति-पत्नी के प्यार और आपसी सम्बंधों को मजबूत करने में। यह एक पत्नी की प्रेम, समर्पण और पति के प्रति आदर की प्रतीक है। इस दिन पत्नी अपने पति की लंबी आयु और समृद्धि की कामना करती हैं और पति भी उन्हें उनके त्याग और प्रेम के लिए सम्मानित करता है।

करवा चौथ का त्योहार एक पत्नी के वचनबद्धता, त्याग, और समर्पण का प्रतीक है। इस दिन पत्नी अपने पति के लिए व्रत रखती है और सवेरे से रात तक भूख और प्यास का त्याग करती है। यह उनकी पति की लंबी आयु और सुखी जीवन की कामना का प्रतीक है। इसके अलावा, इस दिन कोई विशेष पूजा और रिती-रिवाज अपनाए जाते हैं जो पत्नी के प्रेम और पति के सुरक्षा की कामना को दर्शाते हैं।

करवा चौथ व्रत के द्वारा, पत्नी अपने पति के लिए विशेष प्रेम और समर्पण का प्रदर्शन करती है। यह एक ऐसा दिन है जब पत्नियों का प्रेम और त्याग उजागर होता है और पतियों की सुरक्षा और समृद्धि की कामना की जाती है। इसके अलावा, इस दिन व्रत रखने वाली पत्नियों को विशेष आदर और सम्मान प्राप्त होता है जो उनके पति-परिवार द्वारा प्रकट किया जाता है।

करवा चौथ का महत्व न केवल पति-पत्नी के संबंधों को मजबूत करता है, बल्कि यह एक परिवारिक और सामाजिक त्योहार भी है जो पत्नी-पति के बंधन को मजबूत रखता है और प्रेम और समर्पण की महत्ता को समझाता है।

करवा चौथ व्रत की कथा (Karwa Chauth Vrat Katha in Hindi)

बहुत समय पहले की बात है, एक गांव में एक सुंदर और सम्पन्न रहने वाली स्त्री रहती थी। उसका नाम वीरावती था। वीरावती अपने पति के प्रति अत्यधिक प्रेम और समर्पण रखती थी।

एक बार की बात है, करवा चौथ का व्रत अपनाने से पहले, वीरावती अपने माता-पिता के घर अपने पति के साथ नई शादी की थी। उसके पति का नाम राजकुमार था। वीरावती ने करवा चौथ का व्रत रखने का निर्णय लिया और इस त्योहार को बहुत धूमधाम के साथ मनाने का फैसला किया।

वीरावती ने अपनी सभी सहेलियों को बुलाया और एक बड़े और शानदार समारोह की योजना बनाई। सभी स्त्रियाँ सुंदर साड़ी पहनी और आभूषण सजाकर एकत्रित हो गईं। करवा चौथ के दिन सभी स्त्रियाँ उठी और बिना नाश्ता किए व्रत का आरंभ किया। वीरावती ने बड़े ध्यान से पूजा की और शिव-पार्वती के जोड़े की कथा सुनाई। व्रत के दौरान सभी स्त्रियाँ ने एक दूसरे को व्रती स्त्री के रूप में आभूषण, सिन्दूर, मेहंदी और मिठाई दी।

वीरावती ने पूरे मन से पूजा की और पति की लंबी आयु की कामना की। वह उम्मीद करती थी कि उनका पति सदैव सुखी रहेगा और उनके प्रेम में और भी मधुरता आएगी।

धीरे-धीरे सूरज ढलने लगा और वीरावती अपने पति की प्रतीक्षा करने लगी। लेकिन बीच में एक अकाली आदमी गांव में पहुंच गया और उसने देखा कि सभी स्त्रियाँ उनके पतियों की प्रतीक्षा कर रही हैं। अकाली आदमी ने उन्हें धोखा देते हुए कहा कि उनके पति गंभीर रोग में थे और उन्हें तुरंत खाना खिलाना चाहिए। वीरावती दुखी हुई और उसने अपने पति के लिए भोजन को त्याग कर दिया।

पूरा गांव वीरावती की प्रेम-पूर्ण परिस्थिति को देखकर प्रभावित हुआ। सभी स्त्रियाँ ने उनके पति के लिए व्रत तोड़ दिया और भोजन कर लिया।जब वीरावती के पति ने ज्योंही खाना खाया, वीरावती का आदर्श और प्रेम उन्हें स्वस्थ्य और लंबी आयु की आशीर्वाद देने में सफल हुआ। उनका रोग ठीक हो गया और उनका स्वास्थ्य सुधारा।

इस घटना के बाद से, करवा चौथ का त्योहार पत्नियों द्वारा पूजा और व्रत रखने का अवसर बन गया है। यह त्योहार पत्नी-पति के प्रेम और सम्बंधों को मजबूत और पवित्र बनाने का महत्वपूर्ण दिन है।

करवा चौथ 2024 को कैसे मनाएं (Karwa Chauth 2024 Significance in Hindi)

करवा चौथ का व्रत एक हिंदू व्रत है जो हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। यह व्रत महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं। इस दिन महिलाएं सूर्योदय से चंद्रोदय तक निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव, पार्वती और करवा माता की पूजा करती हैं।

करवा चौथ मनाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण अनुष्ठान हैं।

  1. सुबह:- महिलाएं सुबह उठकर स्नान करती हैं और नए कपड़े पहनती हैं। वे करवा चौथ की पूजा के लिए एक थाली तैयार करती हैं जिसमें थोड़ा पानी, एक करवा (घड़ा), कुछ मिठाई, फल, और रोटी होती है।
  2. पूजा:- शाम को, महिलाएं अपने परिवार के साथ मिलकर करवा चौथ की पूजा करती हैं। वे भगवान शिव, पार्वती और करवा माता की पूजा करते हैं और अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करते हैं।
  3. चांद का दर्शन:- चंद्रोदय के बाद, महिलाएं चांद के दर्शन करती हैं और अपने पति को पानी पिलाती हैं। इस से व्रत पूरा होता है।

करवा चौथ के दिन महिलाएं अपने पति के लिए विशेष भोजन बनाती हैं। वे उपवास तोड़ने के बाद इस भोजन का आनंद लेती हैं।करवा चौथ एक महत्वपूर्ण हिंदू व्रत है जो महिलाओं द्वारा अपने पति के लिए प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। यह व्रत महिलाओं को एक-दूसरे के साथ जुड़ने और अपने संस्कृति और परंपराओं को मनाने का अवसर भी प्रदान करता है।

करवा चौथ मनाने के लिए कुछ अन्य सुझाव

  • हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार करवा चौथ का व्रत रखें।
  • पूजा के लिए एक सुंदर और सजावटी थाली तैयार करें।
  • अपने परिवार के साथ मिलकर पूजा करें और अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करें।
  • चांद के दर्शन के बाद अपने पति को पानी पिलाएं।
  • अपने पति के लिए विशेष भोजन बनाएं और उपवास तोड़ने के बाद इसका आनंद लें।
  • इस दिन अपने परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताएं और आनंद लें।

व्रत की तैयारी:- करवा चौथ के दिन व्रत की तैयारी शुरू करें। रात से पहले उठकर शुद्धता और स्नान करें। इसके बाद स्त्रियों को व्रत के लिए विशेष भोजन बनाएं, जिसमें सब्जियां, फल, और फलों से बनी मिठाई शामिल हो सकती हैं।

व्रत पूजा:- पूर्वाह्न के समय व्रत पूजा की शुरुआत करें। पूजा स्थान को सजाएं और शिव-पार्वती के जोड़े की पूजा करें। व्रत कथा सुनें और मंत्रों का जाप करें।

सौभाग्यवती बंधन:- व्रत पूजा के दौरान, स्त्रियों को एक दूसरे को सौभाग्यवती बंधन पहनाएं। इसे आप पति की खालीं हाथ की मुद्रा में पहन सकती हैं या किसी तार को पति के और अपने हाथों में बांध सकती हैं। इसे बंधने के बाद पति को व्रत को खोलने की आज्ञा दें।

पति के साथ साझा करें:- पूजा के बाद पति के साथ बैठकर भोजन करें। उन्हें स्वादिष्ट भोजन का आनंद दें और अपने प्यार और सम्मान का इजहार करें।

अपने सहेलियों के साथ मनाएं:- करवा चौथ को अपनी सहेलियों और दोस्तों के साथ मनाएं। एकत्रित होकर मिठाई खाएं, व्रत की कथा सुनें, गीत गाएं और एक-दूसरे के सौभाग्य और समृद्धि की कामना करें।

आरती और भजन:- व्रत पूजा के दौरान आरती और भजनों का आनंद लें। इससे पूजा का आत्मसात करने और देवी-देवताओं की कृपा प्राप्त करने में मदद मिलेगी।

शाम को चांद की पूजा:- रात को जब चांदनी उभरे, तो उसे देखकर पूजा करें। उपवास तोड़ने के लिए पति के बाद चांदनी की पूजा करना शुभ माना जाता है।

इस तरह से, आप करवा चौथ को मना सकते हैं। इस त्योहार के द्वारा आप अपने पति के प्रति अपार प्रेम और समर्पण का प्रदर्शन करेंगी और उनकी लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना करेंगी।

2024 करवा चौथ दिवस ज्यादातर भारत में उत्तर भारतीय समुदाय और विदेशों में बसे लोगों के बीच मनाया जाता है। करवा चौथ के दिन का पालन करने वाली सबसे महत्वपूर्ण बात दिन भर का करवा चौथ व्रत है जो सूर्योदय से शुरू होता है और चंद्रोदय के साथ समाप्त होता है।

करवा चौथ व्रत केवल तभी दिया जा सकता है जब महिलाओं द्वारा चंद्रमा देखा जाता है और प्रसाद दिया जाता है। करवा चौथ का व्रत बहुत ही अनोखा होता है क्योंकि दुनिया में कहीं भी कोई महिला अपने पति की लंबी उम्र के लिए प्रार्थना करने के लिए दिन भर बिना कुछ खाए-पिए नहीं जाती है।

करवा चौथ के दिन सरगी सबसे महत्वपूर्ण घटकों में से एक है। सरगी एक विशेष भोजन है जिसे सूर्योदय से पहले खाया जाता है। इसमें आमतौर पर सेवइयां या सेंवई शामिल होती हैं जो सास द्वारा बहू के लिए तैयार की जाती हैं।

हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार करवा चौथ के त्योहार के दौरान विवाहित महिलाएं किसी भी प्रकार की घरेलू गतिविधि में शामिल नहीं होती हैं। मेंहदी (मेहंदी) समारोह करवा चौथ के दिन विवाहित महिलाओं द्वारा किया जाता है। यह दिन पूरी तरह से अपनी-अपनी पत्नियों द्वारा पतियों को समर्पित है।

करवा चौथ अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ’s)

Ques:- कौन सा अधिक महत्वपूर्ण है: करवा चौथ या कारक?

Ans:- “करक” चंद्रमा को बलि चढ़ाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले मिट्टी के बर्तनों का नाम है, जबकि करवा चौथ प्रार्थना और उपवास का त्योहार है, इसलिए दोनों संबंधित हैं।

Ques:- करवा चौथ पर महिलाएं हाथों में मेहंदी क्यों लगाती हैं?

Ans:- करवा चौथ के दिन महिलाएं हाथों और पैरों में मेहंदी लगाती हैं। उनका मानना ​​है कि अगर मेहंदी का रंग गहरा है तो यह इस बात का संकेत है कि पत्नी को अपने पति से बहुत प्यार और देखभाल मिलेगी।

Ques:- करवा चौथ पर किस देवता की पूजा की जाती है?

Ans:- इस दिन देवी पार्वती और भगवान शिव की पूजा की जाती है।

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