जातक कथाएं | Jatak Kathayein In Hindi | Buddha Stories

जातक कथाएँ (Jatak Kathayein) एक प्राचीन साहित्यिक शैली हैं जिनमें गौतम बुद्ध के जन्म और उनके जीवन के महत्वपूर्ण क्षणों से संबंधित पौराणिक कथाओं के आधार पर भविष्य की घटनाओं का भविष्यवाणी किया जाता है। ये कथाएँ बुद्ध के जीवन से संबंधित बुद्धिमान पशुओं, पक्षियों और मनुष्यों की कहानियों को समाहित करती हैं जिनमें सत्य, नैतिकता, धर्म और न्याय के महत्वपूर्ण सिख होते हैं। ये कथाएँ हमें यह सिखाती हैं कि हर स्थिति में सही और गलत की भिन्नता कैसे की जाए और हर स्थिति में नैतिकता कैसे बनाए रखी जाए। आज इसलिए हम आपके लिए जातक कथाएँ (Jatak Kathayein) लेकर आये हैं। जो आपको जरूर पढनी चाहिए।

जातक कथाएं (Jatak Tales in Hindi)

भारतीय साहित्य में जातक कथाएँ अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। ये कथाएँ गौतम बुद्ध के जन्म से महापरिनिर्वाण तक के उसके विभिन्न जन्मों की कथाएँ हैं। इन कथाओं का मूल उद्देश्य मानवता और नैतिकता की शिक्षा देना है। जातक कथाएँ धार्मिक और नैतिक सिद्धांतों को सरल तरीके से समझाने का काम करती हैं।

जातक कथाएँ जीवन के मूल्यों को सीखने का सुंदर माध्यम हैं। इन कथाओं में भगवान बुद्ध के अनुयायियों के जीवन से जुड़े रोमांचक और शिक्षाप्रद प्रसंग होते हैं। ये कथाएँ हमें यह बताती हैं कि नैतिकता और धर्म का पालन कैसे करना चाहिए और गलतियों से कैसे बचना चाहिए।

 गौतम बुद्ध के जीवन पर आधारित जातक कथाएं | (Jataka Tales based on the life of Gautam Buddha In Hindi)

जातक कथाओं की विशेषता यह है कि इन्हें सुनते समय हम उसी समय के उसी स्थान का अनुभव करते हैं। इन कथाओं में मनोरंजन के साथ-साथ शिक्षा भी होती है। इसलिए, जातक कथाएँ व्यक्ति को न केवल अच्छे और बुरे कर्मों के बीच अंतर को समझाती हैं, बल्कि उसे सही मार्ग का चयन करने की प्रेरणा भी प्रदान करती हैं।

जातक कथाओं का अर्थ भी यह है कि किसी की भलाई करना उसके अच्छे कर्मों का फल होता है, जबकि बुराई करना उसे उसके खुद के हाथों उजाड़ने का फल होता है। इन कथाओं का संदेश है कि हमें नैतिकता के साथ जीना चाहिए और दूसरों की मदद करना चाहिए।

इस प्रकार, जातक कथाएँ हमें सही और गलत के बीच अंतर को समझाती हैं, हमें धर्म और नैतिकता की महत्वपूर्णता को बताती हैं और हमें सही राह चुनने के लिए प्रेरित करती हैं। इसलिए, जातक कथाएँ हमारे लिए एक महत्वपूर्ण साहित्यिक धरोहर हैं जो हमें नैतिक और धार्मिक मूल्यों की ओर आगे बढ़ने का मार्ग दिखाती हैं।

विश्वसेन जातक कथा (Visvasena Jataka Katha in Hindi)

विश्वसेन कथा (Visvasena Jataka) बुद्ध की जातक कथाओं में से एक है जो बुद्ध के पूर्वी जीवन के एक महत्वपूर्ण पल को वर्णित करती है। इस कथा में एक गहन उपदेश छिपा हुआ है जो मनुष्य को अनुशासन, सामर्थ्य और सामंजस्य के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है।

विश्वसेन नामक एक गज राजा था, जिसके राज्य में उसके अनुयायी और शत्रुओं के बीच संघर्ष हो रहा था। एक दिन विश्वसेन की सेना और शत्रुओं की सेना के बीच एक भयंकर युद्ध हुआ। युद्ध के दौरान विश्वसेन ने एक शत्रु को पकड़ लिया और उसे मारने की तैयारी करने लगा।

उस समय बुद्ध ने वहाँ आकर रोक दिया और विश्वसेन से पूछा, “क्या तुम्हें पता है कि मारने से क्या होता है?” विश्वसेन ने कहा, “हाँ, मैं जानता हूँ, मारने से व्यक्ति की मृत्यु होती है।” बुद्ध ने कहा, “तुम्हारी सोच गलत है। मारने से केवल शरीर की मृत्यु होती है, आत्मा की नहीं।”

बुद्ध ने विश्वसेन को अनुशासन, सामर्थ्य और सामंजस्य के महत्व के बारे में बताया और उसे समझाया कि वह अपने शत्रुओं को मारकर कुछ नहीं हासिल करेगा। विश्वसेन ने बुद्ध के उपदेश को सुनकर अपनी गलती समझी और उसने शत्रु को छोड़ दिया। इससे उसके शत्रुओं के साथ समझौता हो गया और शांति स्थापित हुई।

इस कथा से हमें यह सिखने को मिलता है कि अनुशासन, सामर्थ्य और सामंजस्य हमारे जीवन में कितना महत्वपूर्ण हैं और हमें दूसरों के प्रति समझदारी से बर्ताव करना चाहिए।

चूलकनिकासुत्त जातक कथा (Chullakannikasutta Jataka Katha in Hindi)

चूलकनिकासुत्त जातक कथा (Chullakannikasutta Jataka) बुद्ध के जीवन से जुड़ी एक महत्वपूर्ण जातक कथा है। यह कथा गौतम बुद्ध के एक जन्म के बारे में है, जिसमें उन्होंने एक छोटे से शिशु की जान बचाई।

कहानी यहाँ से शुरू होती है कि एक बार बुद्ध के समय में कपिलवस्तु के पास एक गांव था। उस गांव में एक ब्राह्मण रहता था, जिसके पास एक बड़ा भविष्यवाणी करने वाला गणितज्ञ था। उसकी पत्नी को एक सुंदर शिशु हुआ, जिसके बारे में भविष्यवाणी की गई कि वह शिशु वायरेस के कारण कुछ ही दिनों में मर जाएगा।

ब्राह्मण और उसकी पत्नी बहुत दुखी हो गए। उन्होंने अपने शिशु को एक छोटे से छिपकली के बच्चे के आसपास रखा, जिससे वायरस उसको न लगे। वायरस के डर से उन्होंने अपने शिशु का नाम ‘चूलकन्निका’ रख दिया, जिसका अर्थ होता है ‘छिपकली का बच्चा’।

एक दिन, बुद्ध गांव के पास से गुजर रहे थे। उन्होंने देखा कि छोटे छिपकली के बच्चे के आसपास कुछ लोग एक गगनचुंबी सरोवर की ओर जा रहे हैं। उन्होंने पूछा कि उनके साथ छोटे बच्चे को क्यों ले जा रहे हैं। लोगों ने बुद्ध को सच्चाई बताई और उनसे छोटे बच्चे को छुड़ाने की विनती की। बुद्ध ने उन्हें छोटे छिपकली के बच्चे को छोड़ने की अनुमति दी, जिससे वह ब्राह्मण के घर वापस जा सके।

बुद्ध की यह दया और दयालुता ने ब्राह्मण को गहरी भावनाओं से प्रभावित किया। उसने अपनी भूल समझी और बच्चे का नाम ‘चूलकन्निका’ से हटा दिया और उसका नाम ‘अशोक’ रख दिया। उसके बाद से, उसका बच्चा भविष्य में स्वस्थ रहा और उसके परिवार की सुख-समृद्धि में वृद्धि हुई।

इस कथा से हमें यह सीख मिलती है कि किसी भी स्थिति में दया और सहानुभूति का भाव बनाए रखना चाहिए। यह दुनिया में हमेशा से अच्छाई की जीत होती है।

चिन्नगुट्टजातक जातक कथा (Chinnagutta Jataka Jatak Katha in Hindi)

चिन्नगुट्टजातक कथा गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़ी एक महत्वपूर्ण जातक कथा है। यह कथा बुद्ध के एक पूर्व जन्म की है, जिसमें उन्होंने करुणा और दया की महत्वपूर्णता को समझा।

कहानी के अनुसार, बहुत समय पहले की बात है, एक गाँव में चिन्नगुट्ट नामक एक ब्राह्मण रहता था। वह बहुत ही साधु और धार्मिक आदमी था। उसका दिन दिनचर्या में जाता था, वह ध्यान और पूजा में व्यस्त रहता था और लोगों की मदद करने के लिए सदैव तत्पर रहता था।

एक दिन, उसके गाँव में अचानक अत्यंत गरीबी और भुखमरी की स्थिति आई। लोगों ने उससे भीख माँगना शुरू कर दिया था। चिन्नगुट्ट ने भी उनकी मदद की, लेकिन उसके पास भी बहुत ही कम धन था। फिर भी, वह अपनी सभी संपत्ति को बेचकर लोगों की मदद करने में लग गया।

चिन्नगुट्ट ने अपनी श्रमिकता और प्रयासों से अपने गाँव की स्थिति में सुधार किया। उसने धर्म की ओर लोगों को प्रेरित किया और उन्हें अच्छे कार्यों के लिए प्रेरित किया। इस तरह, चिन्नगुट्ट ने धर्म के माध्यम से लोगों की मदद करने का संकल्प लिया।

चिन्नगुट्टजातक कथा बताती है कि दया और करुणा का महत्व हमेशा बना रहना चाहिए, चाहे हालात जैसे भी हों। यह कथा हमें यह सिखाती है कि हमें धर्म के माध्यम से दूसरों की मदद करनी चाहिए और उनकी समस्याओं को सुलझाने की कोशिश करनी चाहिए।

सुजाता जातक कथा (Sujata Jatak Katha in Hindi)

सुजाता जातक कथा गौतम बुद्ध की जातक कथाओं में से एक है, जो उनके पूर्व जन्म की एक महत्वपूर्ण कहानी है।

एक समय की बात है, गौतम बुद्ध का एक अनुयायी था जिनका नाम सुजाता था। सुजाता बहुत ही नेक और प्रेमी था, लेकिन उसके पास धन की कमी थी। एक दिन, उसने देखा कि एक बुद्धिमान राजकुमार जल तक हाथ धोने आया है, जिसके हाथों में सोने के कटोरे थे। सुजाता ने उससे कहा, “आपको इनका उपयोग क्यों नहीं करना चाहिए? आपके पास इतने सोने के कटोरे क्यों हैं?”

राजकुमार ने उससे कहा, “मेरे पिता ने इन्हें मेरे लिए खरीदे हैं, लेकिन मुझे इनकी आवश्यकता नहीं है।” सुजाता ने कहा, “कृपया मुझे एक कटोरा देने का कष्ट करें, मैं इसे अपने भगवान बुद्ध के लिए उपहार के रूप में प्रयोग करूंगी।” राजकुमार ने उसे एक कटोरा दिया और सुजाता ने उसे सुनहरे फूलों से सजाकर बुद्ध के चरणों में रख दिया।

बुद्ध ने इस प्रेम भरी कृति का भावी अर्थ समझा और सुजाता के पास गए। उन्होंने सुजाता को धन्यवाद दिया और उन्हें आशीर्वाद दिया। सुजाता के द्वारा दिए गए उपहार ने उन्हें बहुत प्रभावित किया और उन्होंने अपने जीवन को सुधारने का निर्णय लिया। इस जातक कथा से हमें यह सिखने को मिलता है कि प्रेम और दया ही असली धन हैं जो हमें सच्चे धर्म की ओर ले जाते हैं।

बालदत्त जातक कथा (Baladatta Jatak Katha in Hindi)

बालदत्त जातक कथा, जिसे बुद्ध ने अपनी जातक कथाओं में समाहित किया है, एक प्रसिद्ध बौद्ध कथा है। इस कथा में वर्तमान बुद्ध का जन्म एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उसके पिता का नाम सुदत्त और माता का नाम सुमित्रा था। बालदत्त को एक श्रमण बनने का बड़ा शौक था, और उसने बहुत समय से इसकी तैयारी की थी।

एक दिन, बालदत्त ने अपने मित्रों से कहा, “मुझे एक श्रमण बनने का बहुत बड़ा शौक है। मैं समझता हूँ कि मेरे लिए यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा।” उसके मित्रों ने उसे उसके इस निर्णय की प्रशंसा की और उन्होंने उसे उनका समर्थन दिया।

बालदत्त ने अपने पिता से इस निर्णय के बारे में बात की। पिता ने उसे उसके निर्णय की प्रशंसा की और उसने उसे श्रमण बनने की शुभकामनाएं दी।

बालदत्त ने फिर अपने दोस्तों के साथ श्रमण बनने के लिए जाने का निर्णय किया। वह उनके साथ गुरुकुल में गया और वहाँ शिक्षा प्राप्त करने लगा। उसके शिक्षा का परिणाम यह हुआ कि वह एक अद्वितीय और जाने-माने श्रमण बन गया।

बालदत्त की इस कथा से हमें यह सिखने को मिलता है कि समर्पण और संकल्प से हर मुश्किल को आसानी से पार किया जा सकता है। उसने अपने सपनों को पूरा करने के लिए किसी भी परिस्थिति को मुश्किल माना नहीं और अपनी मेहनत और लगन से अपने लक्ष्य को हासिल किया।

अमितायुष जातक कथा (Amitayus Jatak Katha in Hindi)

गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़ी जातक कथाओं में से एक है अमितायुष जातक कथा। यह कथा गौतम बुद्ध के एक पूर्वी जन्म की है, जिसमें उन्होंने नेपाल के एक राजा के रूप में जन्म लिया था। उस समय, नेपाल राजा सुद्धोधन नामक था।

राजा सुद्धोधन का राज्य बड़ा समृद्धिशाली था, और उनका पुत्र अमितायुष उत्कृष्ट गुणों वाला था। अमितायुष की एक प्रिय शिक्षिका थी, जिनका नाम सुनंदा था। वे दोनों बहुत प्यार से जुड़े थे।

एक दिन, राजा सुद्धोधन ने देखा कि अमितायुष और सुनंदा का आदर्श जीवन दूसरे लोगों के लिए भी एक प्रेरणास्त्रोत बन सकता है। इसलिए, उन्होंने इन दोनों के विवाह का आयोजन किया।

कुछ समय बाद, राजा सुद्धोधन का स्वर्ग सिद्ध हो गया। अमितायुष ने राजा के पद का अधिकार संभाला। उन्होंने राज्य के लिए बहुत से उपाय किए और लोगों की सहायता की।

एक दिन, राजा और रानी ने एक यात्रा पर जाने का निश्चय किया। वे अपने पुत्र और स्त्री सहित कई लोगों के साथ यात्रा के लिए निकले। लेकिन यात्रा के दौरान एक अज्ञात रोग उन्हें प्रभावित कर लिया।

वे सभी लोग अचानक अत्यधिक बीमार पड़ गए। देखते ही देखते अमितायुष और सुनंदा को ही छोड़कर सभी की मौत हो गई। इस घटना से अमितायुष बहुत दुखी हुआ और उन्होंने समझा कि जीवन अनिश्चित है। इसके बाद, उन्होंने संन्यास ले लिया और ध्यान लगाने लगे। उन्होंने अपने आत्मा की शांति के लिए कठिन तपस्या की और आखिरकार बुद्ध के ज्ञान को प्राप्त किया।

इस जातक कथा से हमें यह सिखने को मिलता है कि जीवन अनिश्चित है और हमें सभी संघर्षों और परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए, हमें सदैव उदार और सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखना चाहिए।

उदाकुमार जातक (Udakumara Jatak Katha in Hindi)

उदाकुमार जातक (Udakumara Jataka) बुद्ध की जातक कथाओं में से एक है, जो पाली भाषा में लिखी गई है। यह कथा गौतम बुद्ध के जीवन से जुड़ी हुई है और उसके अद्भुत ज्ञान और उपदेशों को दर्शाती है। यहाँ हम उस कथा का संक्षिप्त सारांश प्रस्तुत कर रहे हैं:

जातक कथाओं में उदाकुमार जातक की एक कथा है जो महात्मा बुद्ध के एक पूर्वी जन्म की है। इस कथा के अनुसार, एक समय बुद्ध के पूर्वी जन्म में वह एक उदाकुमार नामक राजकुमार थे। एक दिन उन्होंने अपने पिता से पूछा कि क्या उसे भविष्य में कौन-कौन से कार्य करने हैं।

पिता ने उसे उनकी धर्म और नैतिकता के प्रति वचन दिया और कहा कि वह उचित ज्ञान प्राप्त करने के लिए अध्ययन करे। उदाकुमार ने इसे मान लिया और एक प्रख्यात गुरु के शिष्य बन गए।

उदाकुमार ने अपने जीवन में बुद्धि और नैतिकता के मूल्य को स्वीकार किया और उन्होंने ध्यान और समय की महत्वता को समझा। इस प्रकार, उन्होंने अपने जीवन को एक सफल और सर्वोत्तम दिशा में परिणामित किया।

यह कथा हमें यह सिखाती है कि जीवन में सफलता पाने के लिए हमें उचित ज्ञान का अध्ययन करना चाहिए और ध्यान और समय की महत्वता को समझना चाहिए। इसके अलावा, यह हमें धर्म और नैतिकता के मूल्य को समझने की भी शिक्षा देती है।

अजराज जातक (Ajaraj Jatak Katha in Hindi)

एक समय की बात है, एक राजा थे जिनका नाम अजराज था। वे बहुत ही सच्चे और न्यायप्रिय राजा थे। उनकी राजधानी में खुशहाली और समृद्धि थी। लेकिन एक दिन उनके देश में एक दुष्ट राक्षस आ गया। यह राक्षस लोगों को परेशान करने और डराने के लिए उनकी संपत्ति और सुख-सुविधाओं को चीन रहा था।

राजा अजराज ने राक्षस को रोकने के लिए अनेक प्रयास किए, परंतु वह हर बार अपनी चालाकी से उनके प्रयासों को विफल बना देता। राजा ने अपने बुद्धिमान मंत्रियों से सलाह ली और एक युद्ध योजना बनाई।

एक दिन अजराज ने अपनी सेना के साथ राक्षस के खिलाफ युद्ध की शुरुआत की। युद्ध के दौरान, राजा ने राक्षस को फंसा लिया। लेकिन जब राजा ने देखा कि राक्षस को जीवित पकड़ना असंभव है, तो उसने उसे छोड़ दिया।

राजा की यह दयालुता और उसकी अद्वितीय चालाकी ने राक्षस को हिला दिया। राक्षस ने अपनी गलतियों का अहसास किया और राजा से माफी मांगी। उसने अपना दुष्ट रूप छोड़कर धार्मिक जीवन जीने का निर्णय किया।

इस कथा से हमें यह सीख मिलती है कि दया और सहानुभूति की शक्ति अद्वितीय होती है। राजा अजराज ने अपनी प्राकृतिक चालाकी का उपयोग करके दुष्टता को परास्त किया और उसे सुधारने का मार्ग दिखाया।

Fact’s

  • जातक कथाएँ बौद्ध धर्म के प्रमुख ग्रंथ त्रिपिटक के खुद्दक निकाय में संग्रहित हैं।
  • इन कथाओं में भगवान गौतम बुद्ध के पिछले जन्मों की कहानियाँ हैं, जिन्हें उन्होंने अपनी जीवनी के दौरान सुनाई थीं।
  • जातक कथाएँ आध्यात्मिक सन्देशों को समझाने के लिए हैं और इसमें नैतिक मूल्यों की भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है।
  • इन कथाओं में प्राणी या मानव जीवन के अलग-अलग पहलुओं को दर्शाने का प्रयास किया गया है।
  • जातक कथाएँ अक्सर बच्चों को सिखाने के लिए उपयोगी मानी जाती हैं, क्योंकि इनके माध्यम से नैतिक और धार्मिक सिखाने का प्रयास किया जाता है।
  • ये कथाएँ बुद्धिमत्ता, सहानुभूति, धैर्य, संयम और सच्चे जीवन के मूल्यों को समझाने में मदद करती हैं।
  • जातक कथाएँ विभिन्न प्रकार की चित्रकला, पुस्तकें और अन्य कलाएँ बनाने में भी प्रेरित करती हैं।
  • इन कथाओं में एक गहरा संदेश छिपा होता है, जो सीखने और उसे अपने जीवन में लागू करने में मदद कर सकता है।

FAQ’s

Ques: जातक कथाएँ क्या हैं?

Ans: जातक कथाएँ एक प्रकार की कथा-साहित्य हैं जो गौतम बुद्ध के जन्म से लेकर उनके जीवन के महत्वपूर्ण लम्हों पर अधारित भविष्य की घटनाओं का अनुमान लगाने में मदद करता है। ये कथाएं बुद्धिमान पशु, पक्षी, और मनुष्य की हैं जो सत्य, नैतिक, धर्म और न्याय के महत्वपूर्ण सीख प्रदान करते हैं।

Ques: जातक कथाएं किस तरह से हमारे जीवन में मदद करते हैं?

Ans: जातक कथाएं हम सही और गलत के बीच अंतर करें और किसी भी परिस्थिति में नैतिकता को कैसे बनाएं रखें, इसका ज्ञान देती हैं। ये हमें बताता है कि किसी भी परिस्थिती में सत्य और नैतिकता को बनाए रखा जा सकता है।

Ques: जातक कथाएं किस तरह से धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं?

Ans: जातक कथाएँ धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं क्योंकि ये धर्म और नैतिकता के मूल तत्व को समझते हैं। ये कथाएं हमें दिखती हैं कि धर्म और नैतिकता का पालन कैसे करना चाहिए।

Ques: जातक कथाएं कितनी प्रकार की होती हैं?

Ans: जातक कथाएं विविध प्रकार की होती हैं जैसे मनुष्य जातक, पशु जातक, पक्षी जातक आदि। हर प्रकार की कथा में कुछ नया सीख मिलता है।

Ques: क्या जातक कथाएं सच्ची घटाएं हैं?

Ans: जातक कथाएँ कथाओ में आध्यात्मिक सन्देशो को व्यक्त करने के लिए लिखी जाती हैं, इसलिए ये कोई वास्तविक घटनाओं का वर्णन नहीं हैं। ये कथाएं आध्यात्मिक और नैतिक शिक्षा प्रदान करती हैं।

Ques: जातक कथाएं पढ़कर क्या सीख मिलती है?

Ans: जातक कथाएं पढ़कर हमें सत्य, नैतिक, संवेदना और धर्म के महत्वपूर्ण तत्व के प्रति जागरूक बनाता है। ये कथाएं हम सही और गलत के बीच अंतर करने की क्षमा प्रदान करती हैं।

Ques: जातक कथाएं किस प्रकार के भविष्य की घाटनाएं बताती हैं?

Ans: जातक कथाएं गौतम बुद्ध के जीवन से संबंधित महत्वपूर्ण लम्हों पर अधारित भविष्य की घाटनाएं बताती हैं। ये कथाएँ हमें सिखाती हैं कि किस प्रकार से हम अपने जीवन में सत्य और नैतिकता को बनाये रखें।

निष्कर्ष

इन सर्वोत्तम कथाओं में से कुछ अद्वितीय उपकथाएं हैं जो बौद्ध धर्म के संदेशों को स्पष्ट करती हैं। जातक कथाएँ हमें धर्म, नैतिकता, और जीवन के उच्च मानकों की महत्वपूर्ण सिख देती हैं। ये कहानियाँ हमें उस अद्वितीय दर्शनिक दृष्टिकोण की ओर ले जाती हैं, जो हमें जीवन की सच्चाई को समझने की क्षमता प्रदान करता है।

जातक कथाओं के माध्यम से हमें यह भी सिखाया जाता है कि कैसे हमें अच्छे और बुरे कर्मों के बीच भेद करना चाहिए और कैसे हमें समाज में नैतिकता का पालन करना चाहिए। जातक कथाएँ हमारे लिए एक महत्वपूर्ण संदेश हैं कि हमें अपने जीवन में सच्चाई, नैतिकता, और धर्म का पालन करना चाहिए, जिससे हम समृद्ध और सुखी जीवन जी सकें।

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