श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें और बजरंगबली को प्रसन्न करें | Shri Hanuman Chalisa in Hindi

श्री हनुमान चालीसा (Shri Hanuman Chalisa):- दुनिया में हिन्दू धर्म को मानने वाले बहुत से लोग हैं, और अगर आप भी हिन्दू धर्म को मानते हैं तो आपके भी अपने घर और आस-पास के घर और मंदिरों में श्री हनुमान चालीसा (Shri Hanuman Chalisa) का पाठ करते और होते हुये जरुर देखा होगा। प्राचीन काल से मान्यता है कि, हिन्दू धर्म में श्री राम भक्त हनुमान और खासकर इस कलयुग में बहुत महत्व है। श्री हनुमान जी मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम चन्द्र जी के अनन्य भक्त थे।

कहते हैं, इस कलयुग में हनुमान जी अभी भी जीवित हैं। और जो भी भक्त उनकी सच्चे मन से स्तुति, आराधना करता है, और जो हनुमान जी को सच्चे मन से याद करता है, हनुमान जी उनकी इच्छा पूरी अवश्य करते हैं, और साथ-साथ उनके कष्ट जरुर दूर करते हैं। हनुमान चालीसा को आप सभी प्रतिदिन पढ़ सकते हैं, लेकिन इसे खासकर मंगलवार और शनिवार को जरुर पढ़ना चाहिये।

चूँकि भारत वर्ष में हिंदी पाठकों की संख्या बहुत अधिक है, अतः यहाँ पर श्री बजरंग बली भगवान पर आधारित 40 छंदों का या चालीसा पाठ हिंदी में उपलब्ध करवाया गया है। इसलिये दोस्तों आज हम श्री हनुमान चालीसा (Shri Hanuman Chalisa) हिंदी में आपके लिए लाये हैं, जिसकी हम आपको PDF भी दे रहे हैं, जिसे आप आसानी से अपने मोबाइल में डाउनलोड कर सकते हैं।

श्री हनुमान चालीसा (Shri Hanuman Chalisa in Hindi)

डाउनलोड करने के बाद व्यक्ति कभी हनुमान चालीसा का जाप या पूजा कर सकता है। जब कभी भी हनुमान चालीसा का पाठ किया जाता है, तो लोगों को हनुमान चालीसा में लिखे दोहे और चोपाई (Hanuman Chalisa Lyrics) याद नहीं रहते हैं। जिसके लिये आपको यह श्री हनुमान चालीसा जरुर पढ़नी चाहिये। तो दोस्तों आइये शुरु करते हैं।

श्री हनुमान चालीसा (Shri Hanuman Chalisa) in Hindi

 “जय श्री हनुमान चालीसा”

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।

बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।

अर्थ:- श्रीगुरु चरण सरोज की रज जो अत्यंत पवित्र है, जिससे मेरे मन की दृष्टि को शुद्ध किया जाता है।

मैं वह पवित्र वर्णन करता हूँ, जो रघुनाथ (राम) का अत्यंत शुद्ध जीवनदाता है, जिससे चार प्रकार के फल प्राप्त होते हैं।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।

बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

अर्थ:- बुद्धिहीन और ज्ञानशून्य शरीर को जानते हुए, मैं पवन पुत्र हनुमान की स्मरण करता हूँ।

कृपा करके मुझे शक्ति, बुद्धि और ज्ञान दीजिए ताकि मेरे मन के कष्टों को दूर करें।

llजय श्री हनुमान चालीसा पाठ चौपाईll

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर

जय कपीस तिहुँ लोक उजागर॥1॥

अर्थ:- विजयी हो हनुमान, ज्ञान और गुणों के सागर। विजयी हो कपीस (वानर राजा हनुमान), जो तीनों लोकों (स्वर्ग, पृथ्वी और पाताल) को प्रकाशित करते हैं।

राम दूत अतुलित बल धामा

अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥2॥

अर्थ:- राम के दूत, अद्वितीय बल का धामा, अंजनी के पुत्र, पवनसुत नाम के।

महाबीर बिक्रम बजरंगी

कुमति निवार सुमति के संगी॥3॥

अर्थ:- महाबीर, वीरता और बल के धनुषोंधारी, बजरंगी (हनुमान), अनुग्रह करने वाले और सुमति (सुन्दरता) के साथी, कुमति (कष्ट) को दूर करने वाले।

कंचन बरन बिराज सुबेसा

कानन कुंडल कुँचित केसा॥4॥

अर्थ:- कंचन वर्ण में आभूषित होकर विराजमान है, कानों में कुंडल और बालों को बांधे हुए हैं।

हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजे

काँधे मूँज जनेऊ साजे॥5॥

अर्थ:- हाथ में वज्र और ध्वजा धारण करके विराजमान हैं, कंधे पर मूंज और जनेऊ (संस्कार की प्रतीक) सुसज्जित हैं।

शंकर सुवन केसरी नंदन

तेज प्रताप महा जगवंदन॥6॥

अर्थ:- शंकर के सुन्दर और केसरी नंदन, महान् तेज और प्रतापशाली, जगवंदन (विश्वासयोग्य देवता)।

विद्यावान गुनी अति चातुर

राम काज करिबे को आतुर॥7॥

अर्थ:- जो विद्यावान, गुणी और अत्यंत चातुर है, वह राम के कार्य को करने के लिए उत्सुक है।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया

राम लखन सीता मनबसिया॥8॥

अर्थ:- जो ईश्वर के चरित्र को सुनता है, वह रसिया होता है, राम, लक्ष्मण, सीता का मन मोह लेता है।

सूक्ष्म रूप धरि सियहि दिखावा

विकट रूप धरि लंक जरावा॥9॥

अर्थ:- वह अपनी सीता को छुपाकर सूक्ष्म रूप धारण करता है, और लंका में अपने विकट रूप को धारण करके जलाता है

भीम रूप धरि असुर सँहारे

रामचंद्र के काज सवाँरे॥10॥

अर्थ:- भगवान भीम के रूप में आकर दानवों का नाश किया और रामचंद्र ने अपने कार्यों को संपन्न किया।

लाय सजीवन लखन जियाए

श्री रघुबीर हरषि उर लाए॥11॥

अर्थ:- लक्ष्मण ने सजीवनी बूटी लाकर लखन को जीवित किया, श्री रघुबीर (राम) ने आनंदित ह्रदय से उसे लाया

रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई

तुम मम प्रिय भरत-हि सम भाई॥12॥

अर्थ:- रघुपति (राम) ने तुम्हें बहुत बड़ी प्रशंसा की, तुम मेरे प्रिय भरत के समान भाई हो

सहस बदन तुम्हरो जस गावै

अस कहि श्रीपति कंठ लगावै॥13॥

अर्थ:- तुम्हारे वीरता भरे शरीर की महिमा को गाकर, श्रीपति (भगवान श्रीराम) तुम्हारे कंठ पर आशीर्वाद देते हैं।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा

नारद सारद सहित अहीसा॥14॥

अर्थ:- सनकादि ब्रह्मा आदि मुनियों के साथ, नारद और सारद सहित सभी महर्षियों ने अहिंसा की प्रथा को अपनाया है।

जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते

कवि कोविद कहि सके कहाँ ते॥15॥

अर्थ:- जहां भी यमराज, कुबेर, और दिग्पाल होते हैं, वहां कवियों का कोविद नाम उचित होता है, वे कहीं और नहीं हो सकते

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा

राम मिलाय राज पद दीन्हा॥16॥

अर्थ:- तुमने सुग्रीव के लिए उपकार किया, जिससे राम ने तुम्हें राज्य की पदवी प्रदान की।

तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना

लंकेश्वर भये सब जग जाना॥17॥

अर्थ:- बिभीषण ने तुम्हारे मंत्र को स्वीकार किया, जिससे लंकेश्वर (रावण) का भय सभी जगत में फैल गया।

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू

लिल्यो ताहि मधुर फ़ल जानू॥18॥

अर्थ:- जब सूर्य हजारों योजनों दूर चमकता है, तब मैं मधुर फलों का आनंद लेता हूँ।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही

जलधि लाँघि गए अचरज नाही॥19॥

अर्थ:- प्रभु की मुद्रा को मुख में मिलाकर, जलाशय (सागर) को पार करना कोई आश्चर्य नहीं है

दुर्गम काज जगत के जेते

सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते॥20॥

अर्थ:- जगत के अत्यंत कठिन कार्यों को जितना भी हो, उनमें तुम्हारी अनुग्रह और सहायता सुगम होती है।

राम दुआरे तुम रखवारे

होत ना आज्ञा बिनु पैसारे॥21॥

अर्थ:- राम के द्वारे तुम रखवाले हो, उनकी अनुमति के बिना कुछ भी संभव नहीं होता

सब सुख लहैं तुम्हारी सरना

तुम रक्षक काहु को डरना॥22॥

अर्थ:- तुम्हारी शरण में सभी सुख प्राप्त होते हैं, किसी रक्षक को डरने की कोई आवश्यकता नहीं होती

आपन तेज सम्हारो आपै

तीनों लोक हाँक तै कापै॥23॥

अर्थ:- आप ही अपनी शक्ति को संभालते हैं, तीनों लोकों को आप ही नियंत्रित करते हैं

भूत पिशाच निकट नहि आवै

महावीर जब नाम सुनावै॥24॥

अर्थ:- भूत और पिशाच करीब नहीं आते, जब महावीर (भगवान) का नाम सुनाया जाता है

नासै रोग हरे सब पीरा

जपत निरंतर हनुमत बीरा॥25॥

अर्थ:- सभी बीमारियों का नाश होता है, सभी दुखों को हरा दिया जाता है, जब निरंतर श्री हनुमान जी का जाप किया जाता है

संकट तै हनुमान छुडावै

मन क्रम वचन ध्यान जो लावै॥26॥

अर्थ:- हनुमान जी संकट से रक्षा करते हैं, जब हम अपने मन, वचन और ध्यान को संयमित रखते हैं

सब पर राम तपस्वी राजा

तिनके काज सकल तुम साजा॥27॥

अर्थ:- राम एक तपस्वी राजा हैं, और तुम ही सभी कार्यों को संपन्न करते हो

और मनोरथ जो कोई लावै

सोई अमित जीवन फल पावै॥28॥

अर्थ:- और जो भी मन की इच्छा को पूरा करता है, वही अमर जीवन के फल को प्राप्त करता है

चारों जुग परताप तुम्हारा

है परसिद्ध जगत उजियारा॥29॥

अर्थ:- तुम्हारा प्रताप चारों युगों पर फैला है, तुम्हारी महिमा से जगत् को प्रज्वलित किया जाता है

साधु संत के तुम रखवारे

असुर निकंदन राम दुलारे॥30॥

अर्थ:- तुम साधुओं और संतों का संरक्षक हो, और राम दुलारे जिन्होंने असुरों का नाश किया है

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता

अस बर दीन जानकी माता॥31॥

अर्थ:- तुम अष्ट सिद्धियों के और नौ निधियों के दाता हो, और दीनदयालु जानकी माता हो, जो संसार में न्यारे हो

राम रसायन तुम्हरे पासा

सदा रहो रघुपति के दासा॥32॥

अर्थ:- तुम्हारे पास राम का अमृत है, हमेशा रघुपति (श्रीराम) के दास बने रहो

तुम्हरे भजन राम को पावै

जनम जनम के दुख बिसरावै॥33॥

अर्थ:- तुम्हारे भजन से राम को प्राप्त करते हैं, और जन्म-जन्म के दुखों को भूल जाते हैं

अंतकाल रघुवरपुर जाई

जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥34॥

अर्थ:- आखिरी समय में जीवात्मा रघुवंशी नगर (अयोध्या) को जाती है, जहां उसे हरि के भक्त कहा जाता है

और देवता चित्त ना धरई

हनुमत सेई सर्व सुख करई॥35॥

अर्थ:- और देवताओं को मन में नहीं रखना चाहिए, हनुमान जी ही सभी सुख प्रदान करते हैं

संकट कटै मिटै सब पीरा

जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥36॥

अर्थ:- सभी संकटों को काट दिया जाता है, सभी पीड़ाएं मिट जाती हैं, जो हनुमान बलवान का ध्यान रखता है

जै जै जै हनुमान गुसाईँ

कृपा करहु गुरु देव की नाई॥37॥

अर्थ:- हे हनुमान गुसाईं, जय हो जय हो जय हो! कृपा कीजिए और गुरुदेव की सहायता करें

जो सत बार पाठ कर कोई

छूटहि बंदि महा सुख होई॥38॥

अर्थ:- जो कोई सत बार पाठ करता है, वह महा सुख को प्राप्त करता है और सभी बंधनों से मुक्त होता है

जो यह पढ़े हनुमान चालीसा

होय सिद्ध साखी गौरीसा॥39॥

अर्थ:- जो इस हनुमान चालीसा को पढ़ता है, वह सिद्ध हो जाता है और गौरीसा (पार्वती माता) की प्रतिष्ठा प्राप्त करता है

तुलसीदास सदा हरि चेरा

कीजै नाथ हृदय मह डेरा॥40॥

अर्थ:- तुलसीदास हमेशा हरि की सेवा करते हैं, अपने हृदय में भगवान का निवास स्थान बनाए रखें

दोहा

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।

राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप॥

अर्थ:- हे पवन पुत्र हनुमान, जो संकट को हरने वाले हैं, जो मंगलमय रूप हैं, जो राम, लख्मण और सीता के साथ हैं, उनका आप हमारे हृदय में बस जाएं

हनुमान चालीसा का संक्षिप्त विवरण

हनुमान चालीसा सनातन धर्म का एक भजन है जिसके रचयिता तुलसीदास जी थे। श्री हनुमान चालीसा (Shri Hanuman Chalisa) पाठ में कुल 40 छन्द हैं। रामचरित मानस के बाद अवधी भाषा में रचित, श्री हनुमान चालीसा तुलसीदास जी का प्रसिद्ध रचना है। श्री हनुमान चालीसा का पाठ अन्य भाषाओँ में भी उपलब्ध है, जैसे कि मलयालम, तमिल, तेलगू, गुजराती, संस्कृत, बंगाली इत्यादि।

श्री हनुमान चालीसा:- Hanuman Chalisa PDF Download

आज के इस लेख में हमने आपको श्री हनुमान चालीसा (Shri Hanuman Chalisa) के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी देने की पूरी कोशिश की है। उम्मीद है आपको यह पोस्ट हनुमान चालीसा (Shri Hanuman Chalisa) पसंद आई होगी, यदि आपके पास श्री हनुमान चालीसा (Shri Hanuman Chalisa) से सम्बंधित कोई अन्य जानकारी हो या हमारे लेख मे कोई त्रुटी हो गयी होगी, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में कमेंट करके जरूर बता सकते हैं।

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